मिलना था इत्तेफाक, बिछड़ना नसीब था,
वो उतना ही दूर हो गया जितना करीब था।
मैं उसको देखने को तरसती ही रह गई,
जिस शख्स की हथेली में मेरा नसीब था।
बस्ती के सारे लोग ही आतिश परस्त थे,
घर जल रहा था जब की समंदर करीब था।
दफना दिया गया मुझे चांदी की कब्र में,
मैं जिसको चाहती थी वो लड़का गरीब था।
"अंजुम" मैं जीत कर भी यही सोचती रह गई,
जो हार कर गया बड़ा खुशनसीब था।
- अंजुम रहबर (Anjum Rehbar)
आतिश परस्त - आग पसंद करनेवाले
वो उतना ही दूर हो गया जितना करीब था।
मैं उसको देखने को तरसती ही रह गई,
जिस शख्स की हथेली में मेरा नसीब था।
बस्ती के सारे लोग ही आतिश परस्त थे,
घर जल रहा था जब की समंदर करीब था।
दफना दिया गया मुझे चांदी की कब्र में,
मैं जिसको चाहती थी वो लड़का गरीब था।
"अंजुम" मैं जीत कर भी यही सोचती रह गई,
जो हार कर गया बड़ा खुशनसीब था।
- अंजुम रहबर (Anjum Rehbar)
आतिश परस्त - आग पसंद करनेवाले