Wednesday, January 16, 2013

चिंगारी का खेल बुरा होता है


भारत का मस्तक




एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते

पर स्वतन्त्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा

अगणित बलिदानों से अर्जित यह स्वतंत्रता

सुशोभित शोणित से सींचित यह स्वतंत्रता

त्याग तेज तप बल से रक्षित यह स्वतंत्रता

दुखी मनुजता के हित अर्पित यह स्वतंत्रता

इसे मिटाने कि साजिश करने वालों से कह दो

चिंगारी का खेल बुरा होता है

औरों के घर आग लगाने का जो सपना

वह अपने हीं घर में सदा खराब होता है

अपने हीं हाथों तुम अपनी कब्र न खोदो

अपने पैरों आप कुल्हारी नहीं चलाओ

ओ नादान पड़ोसी अपनी आँखें खोलो

आजादी अनमोल, न इसका मोल लगाओ

पर तुम क्या जानो आजादी क्या होती है!

तुम्हें मुफ्त में मिली, न कीमत गयी चुकाई

अंग्रेजों के बल पर दो टुकड़े पाए हैं

माँ को खंडित करते तुमको लाज न आयी

अमरीकी शस्त्रों से

अपनी आज़ादी को

दुनिया में कायम रख लोगो यह मत समझो

दस - बीस अरब डॉलर लेकर

आने वाली बर्बादी से

तुम बच लोगे ये मत समझो

धमकी, जेहाद के नारों से, हथियारों से

कश्मीर कभी अपना लोगे यह मत समझो

हमलों से अत्याचारों से संहारों से

भारत का शीश झुका लोगे यह मत समझो

जब तक गंगा की धार, सिंधु में ज्वार

अग्नि में जलन, सूर्य में तपन शेष

स्वातंत्र समर की बेदी पर अर्पित होंगे

अगणित जीवन जौवन अशेष

अमरीका क्या संसार भले हीं हो विरुद्ध

काश्मीर पर भारत का ध्वज नहीं झुकेगा

एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते

पर स्वतन्त्र भारत का निश्चय नहीं रुकेगा


- श्री अटलबिहारी वाजपेयी

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